एक ननद की खुशियों की चाबी...मेरी भाभी - हरीश एक गाँव का पला बढ़ा इंसान था। मन में आगे बढ़ने की उमंग थी, कुछ अच्छा करने का उत्साह था तो घर वालों से जिद करके पढाई के लिए शहर चला गया। गाँव के लोग हरीश इंजिनियर बाबू कहकर बुलाते थे, ये सुनकर हरीश कहीं ना कहीं मन में सम्मान महसूस करता था।